1 अप्रैल से UPI के नए नियम! अगर यह गलती की तो अकाउंट होगा बंद UPI Switch Rule Change
मोबाइल नंबर वेरिफिकेशन: सुरक्षा का पहला कदम
नए नियमों का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है मोबाइल नंबर की नियमित वेरिफिकेशन। बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स को अब अपने डेटाबेस को नियमित रूप से अपडेट करना होगा। यदि आपने अपना पुराना मोबाइल नंबर बदल लिया है या बंद कर दिया है, और बैंक में इसकी जानकारी नहीं दी है, तो आपका यूपीआई खाता निष्क्रिय हो सकता है।
इस नियम का उद्देश्य फ्रॉड को रोकना है। अक्सर ऐसा होता है कि जब कोई व्यक्ति अपना पुराना नंबर छोड़ देता है, तो वह नंबर किसी अन्य व्यक्ति को आवंटित हो जाता है। ऐसी स्थिति में, यदि पुराने नंबर से यूपीआई अकाउंट जुड़ा रहता है, तो नए धारक के पास अनजाने में उस खाते तक पहुंच हो सकती है, जिससे वित्तीय धोखाधड़ी का खतरा बढ़ जाता है।
“यदि आपने हाल ही में अपना मोबाइल नंबर बदला है, तो तुरंत अपने बैंक में जाकर अपडेट करवाएं। यह छोटा सा कदम आपके वित्तीय सुरक्षा में बड़ा बदलाव ला सकता है,” एनपीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया।
यूपीआई 123Pay और UPI Lite: ग्रामीण भारत के लिए वरदान
डिजिटल इंडिया का सपना तभी पूरा होगा जब हर भारतीय, चाहे वह शहर में रहता हो या गांव में, डिजिटल पेमेंट का लाभ उठा सके। इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है यूपीआई 123Pay और UPI Lite की ट्रांजैक्शन लिमिट में वृद्धि।
अब फीचर फोन उपयोगकर्ता बिना इंटरनेट के भी ₹10,000 तक का लेन-देन कर सकेंगे। यह विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के लिए फायदेमंद है, जहां अक्सर इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या रहती है। एक अनुमान के अनुसार, भारत में लगभग 40 करोड़ लोग अभी भी फीचर फोन का उपयोग करते हैं, और यह बदलाव उन्हें डिजिटल अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनने में मदद करेगा।
यूपीआई 123Pay सिस्टम मिस्ड कॉल, इंटरैक्टिव वॉइस रिस्पांस (आईवीआर), ऐप्स और प्रॉक्सिमिटी साउंड-बेस्ड पेमेंट जैसे विकल्पों के माध्यम से काम करता है, जिससे स्मार्टफोन न होने पर भी पेमेंट संभव हो जाता है।
डुप्लिकेट ट्रांजैक्शन: अब मिलेगी स्वचालित वापसी
हम सभी के साथ कभी न कभी ऐसा हुआ होगा कि गलती से एक ही पेमेंट दो बार हो गया, और फिर पैसे वापस पाने के लिए कस्टमर केयर के चक्कर काटने पड़े। लेकिन अब इस परेशानी से निजात मिलने वाली है।
नए नियमों के अनुसार, यदि किसी कारणवश एक ही ट्रांजैक्शन दोहरा जाता है, तो उसका चार्जबैक (रिफंड) स्वचालित रूप से प्रोसेस हो जाएगा। यह सिस्टम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग करके डुप्लिकेट ट्रांजैक्शन को पहचानेगा और तुरंत वापसी की प्रक्रिया शुरू कर देगा।
“हम चाहते हैं कि हमारे उपयोगकर्ताओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। डुप्लिकेट ट्रांजैक्शन के स्वचालित रिफंड से लोगों का समय और प्रयास दोनों बचेगा,” एनपीसीआई के प्रवक्ता ने कहा।
कॉन्वीनिएंस फीस: कुछ विशेष सेवाओं पर लागू
हालांकि यूपीआई का मूल सिद्धांत निःशुल्क सेवा प्रदान करना है, लेकिन कुछ विशेष प्रकार के बिल भुगतान पर कॉन्वीनिएंस फीस लागू की जा सकती है। यह फीस सभी यूपीआई ट्रांजैक्शन पर नहीं, बल्कि केवल उन लेन-देन पर लागू होगी जो प्लेटफॉर्म के लिए अधिक लागत वाले होते हैं।
उदाहरण के लिए, क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान, इंश्योरेंस प्रीमियम या कुछ विशेष वित्तीय सेवाओं के लिए एक छोटी सी फीस ली जा सकती है। हालांकि, दैनिक उपयोग के लिए जैसे दुकानों पर भुगतान, पैसे भेजना या प्राप्त करना, या मोबाइल रिचार्ज जैसे नियमित ट्रांजैक्शन पूरी तरह से मुफ्त रहेंगे।
यह कदम पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स को अपने ऑपरेशन चलाने में मदद करेगा और सिस्टम की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करेगा।
इंटरनेशनल यूपीआई पेमेंट्स: विदेश में भी भारतीय पेमेंट सिस्टम
वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते प्रभाव के साथ, यूपीआई का अंतरराष्ट्रीय विस्तार एक स्वाभाविक कदम है। नए नियमों के तहत, अब भारतीय नागरिक विदेश यात्रा के दौरान भी यूपीआई से भुगतान कर सकेंगे।
शुरुआत में यह सुविधा सिंगापुर, यूएई, मलेशिया, थाईलैंड और नेपाल जैसे देशों में उपलब्ध होगी, जहां भारतीय पर्यटकों की संख्या अधिक है। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से अन्य देशों में भी इसका विस्तार किया जाएगा।
“इंटरनेशनल यूपीआई पेमेंट्स से भारतीय यात्रियों को विदेशी मुद्रा ले जाने या अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड रखने की आवश्यकता नहीं होगी। वे अपने स्थानीय बैंक खाते से ही विदेश में भुगतान कर सकेंगे,” वित्तीय सेवा विभाग के एक अधिकारी ने बताया।
अन्य महत्वपूर्ण बदलाव और सुविधाएं
उपरोक्त प्रमुख बदलावों के अलावा, कुछ अन्य महत्वपूर्ण सुधार भी किए जा रहे हैं:
- यूपीआई एकीकृत क्यूआर कोड: अब एक ही क्यूआर कोड से कई प्रकार के भुगतान संभव होंगे, जिससे व्यापारियों को अलग-अलग पेमेंट गेटवे के लिए अलग-अलग क्यूआर कोड रखने की जरूरत नहीं होगी।
- मल्टी-बैंक अकाउंट लिंकेज: यूजर्स अब एक ही यूपीआई आईडी से अधिकतम 5 बैंक खातों को जोड़ सकेंगे और आसानी से उनके बीच स्विच कर सकेंगे।
- बढ़ी हुई सुरक्षा: बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन और एडवांस्ड एन्क्रिप्शन जैसी नई तकनीकों का उपयोग करके यूपीआई ट्रांजैक्शन को और अधिक सुरक्षित बनाया जाएगा।
- व्यापारियों के लिए नए टूल्स: छोटे व्यापारियों के लिए सरलीकृत इनवॉइसिंग, इन्वेंटरी मैनेजमेंट और कस्टमर लॉयल्टी प्रोग्राम जैसे नए टूल्स पेश किए जाएंगे।
इन नए नियमों का उद्देश्य यूपीआई प्लेटफॉर्म को और अधिक मजबूत, सुरक्षित और उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाना है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन बदलावों से डिजिटल लेनदेन में और वृद्धि होगी, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में।
“भारत पहले से ही रियल-टाइम डिजिटल पेमेंट में दुनिया का नेतृत्व कर रहा है। 2024 में, यूपीआई के माध्यम से प्रतिदिन औसतन 100 करोड़ से अधिक ट्रांजैक्शन हुए। इन नए बदलावों से हम 2025 के अंत तक यह संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखते हैं,” एनपीसीआई के प्रबंध निदेशक ने कहा।
इसके अलावा, यूपीआई का अंतरराष्ट्रीय विस्तार भारत के वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो ‘भारतीय डिजिटल पेमेंट’ ब्रांड को वैश्विक स्तर पर स्थापित करेगा।
1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाले ये नए नियम भारत के डिजिटल भुगतान परिदृश्य में एक नया अध्याय शुरू करेंगे। यह बदलाव न केवल उपयोगकर्ताओं के लिए सुविधाजनक होंगे, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेंगे।
यूपीआई उपयोगकर्ताओं के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव:
- अपना मोबाइल नंबर अपडेट करवाना सुनिश्चित करें, विशेष रूप से यदि आपने हाल ही में नंबर बदला है
- यूपीआई पिन कभी भी किसी के साथ शेयर न करें, चाहे वह कितना भी विश्वसनीय क्यों न हो
- अपने बैंक खाते में हुए लेनदेन की नियमित जांच करें और किसी भी अनधिकृत ट्रांजैक्शन की तुरंत सूचना दें
- विदेश यात्रा से पहले, अपने बैंक से इंटरनेशनल यूपीआई पेमेंट सुविधा के बारे में जानकारी प्राप्त करें
- फीचर फोन उपयोगकर्ता यूपीआई 123Pay सेवा के बारे में अपने बैंक से जानकारी लें
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने इन बदलावों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक विशेष हेल्पलाइन भी शुरू की है, जिस पर कोई भी व्यक्ति अपने प्रश्न पूछ सकता है। यह सुनिश्चित करेगा कि सभी उपयोगकर्ता इन नए नियमों से अवगत हों और उनका अधिकतम लाभ उठा सकें।
इन सभी बदलावों के साथ, यूपीआई भारत के डिजिटल भविष्य का एक और अधिक मजबूत स्तंभ बनने जा रहा है, जो देश को कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर ले जाएगा।