झारखंड के हजारीबाग, गिरिडीह, बोकारो और धनबाद जिलों के मजदूरों का विदेश में फंसे रहने का सिलसिला जारी है। हाल ही में मलेशिया में झारखंड के 70 प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं। इन मजदूरों को पिछले चार महीनों से कंपनी द्वारा मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है, जिसके कारण उन्हें खाने-पीने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। मजदूरों ने अपनी दुर्दशा को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए सरकार से वापस लौटने की गुहार लगाई है और बकाया वेतन के भुगतान की मांग की है।
प्रवासी मजदूरों के अधिकारों के लिए काम करने वाले सिकंदर अली ने भारत और झारखंड सरकार से इन मजदूरों की मदद की अपील की है। उन्होंने बताया कि झारखंड में रोजगार की कमी के कारण ऐसे मामले अक्सर सामने आ रहे हैं। लोग रोजी-रोटी की तलाश में विदेश जाते हैं, लेकिन वहां उन्हें प्रताड़ना झेलनी पड़ती है। इससे मजदूरों के लिए अपने वतन लौटना बेहद मुश्किल हो जाता है। सरकार को मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।
मलेशिया में फंसे झारखंड के 70 मजदूर के लिए सरकार ने क्या किया?
सरकार ने इस मुद्दे पर कुछ कदम उठाने का प्रयास किया है, लेकिन कार्यवाही की गति और प्रभावशीलता अक्सर चर्चा का विषय रही है।
- सहायता के आदेश: सरकार ने झारखंड के प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे विदेशों में फंसे मजदूरों के बारे में जानकारी इकट्ठा करें और आवश्यक सहायता प्रदान करें।
- मदद केंद्रों की स्थापना: कई राज्यों ने प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर और सहायता केंद्र स्थापित किए हैं, जिससे मजदूरों को अपनी समस्याओं को साझा करने और समाधान पाने में सहायता मिल सके।
- प्रवासी कल्याण योजनाएँ: केंद्र और राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों के लिए विशेष कल्याण योजनाएँ लागू कर रही हैं, जिसमें रोजगार प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता शामिल है।
- कूटनीतिक प्रयास: सरकार ने विदेश मंत्रालय के माध्यम से मलेशिया और अन्य देशों के साथ कूटनीतिक बातचीत की है ताकि फंसे हुए मजदूरों को सुरक्षित वापस लाया जा सके।
हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद, कई मजदूरों की समस्याएँ अभी भी अनसुलझी हैं, और सुधार के लिए लगातार प्रयासों की आवश्यकता है।