गोरखपुर की सफाई व्यवस्था में गंभीर खामियां नजर आ रही हैं, जहां करीब 40% कचरा अब भी सड़कों पर पड़ा हुआ है। शहरवासियों ने स्वच्छता में सुधार के लिए इंदौर और स्वीडन के सफाई मॉडल को अपनाने की मांग उठाई है। सफाई कर्मियों की कमी, संसाधनों की अपर्याप्तता और उचित प्रबंधन की कमी के कारण यह समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। शहर के नागरिकों का मानना है कि इंदौर की सफाई व्यवस्था और स्वीडन के कचरा निस्तारण तकनीकें इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकती हैं
गोरखपुर में स्वच्छता सुधार की मांग बढ़ी
गोरखपुर की सफाई व्यवस्था में सुधार की मांग जोर पकड़ रही है, क्योंकि शहर की सड़कों पर अब भी 40% कचरा बिखरा हुआ है। नागरिकों का कहना है कि इंदौर और स्वीडन के सफाई मॉडल को अपनाना इस समस्या का समाधान हो सकता है। इन शहरों की स्वच्छता प्रणाली बेहद प्रभावी मानी जाती है, जो गोरखपुर के लिए एक मिसाल बन सकती है। प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि वह जल्द ही ठोस कदम उठाए और शहर की स्वच्छता व्यवस्था को दुरुस्त करे।
प्रशासन पर उठ रहे सवाल
गोरखपुर की सफाई व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को लेकर प्रशासन पर सवाल उठने लगे हैं। शहर के निवासी लगातार इस मुद्दे पर आवाज उठा रहे हैं और इंदौर एवं स्वीडन जैसे शहरों के सफल सफाई मॉडल को अपनाने की मांग कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर समय रहते प्रशासन ने कदम नहीं उठाए, तो शहर की स्थिति और भी बदतर हो सकती है। वहीं, प्रशासन का कहना है कि वे जल्द ही इस समस्या के समाधान के लिए नई योजनाएं लागू करेंगे, लेकिन जमीन पर इसके नतीजे कब दिखेंगे, यह देखना बाकी है।
नागरिकों की सक्रियता बढ़ी
गोरखपुर के नागरिकों ने स्वच्छता की स्थिति को सुधारने के लिए सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है। स्थानीय संगठनों और निवासियों ने मिलकर सफाई अभियानों की शुरुआत की है, जिसमें सड़कों से कचरा हटाने और लोगों को जागरूक करने का काम शामिल है। कई क्षेत्रों में स्वयंसेवकों ने स्वच्छता कार्यक्रमों का आयोजन किया है, जिससे समाज में जागरूकता बढ़ रही है। नागरिकों की यह पहल प्रशासन के लिए एक चुनौती है, और उन्हें इस दिशा में जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित कर रही है। लोग अब अपने अधिकारों के प्रति सचेत हो रहे हैं और स्वच्छता के लिए मिलकर लड़ने का संकल्प ले रहे हैं।