गोरखपुर में बनेगी प्रदेश की पहली फॉरेस्ट यूनिवर्सिटी, जानिए पाठ्यक्रम और स्थान की पूरी जानकारी

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के कैंपियरगंज के भौरावैसी में जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र के पास प्रदेश की पहली फॉरेस्ट यूनिवर्सिटी स्थापित होने जा रही है। इस यूनिवर्सिटी के लिए वन विभाग 125 एकड़ जमीन मुहैया कराएगा, और इसके लिए शासन को पत्र भेजा गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 6 सितंबर को इस केंद्र के उद्घाटन के दौरान फॉरेस्ट यूनिवर्सिटी की स्थापना का ऐलान किया था। इसके बाद वन विभाग ने उपयुक्त जमीन की तलाश शुरू की, जिसमें पहले भटहट इलाके में भूमि देखी गई, लेकिन वह लो-लैंड होने के कारण अस्वीकृत कर दी गई।

अब जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र के पास की 125 एकड़ जमीन को चुना गया है, जो लो-लैंड नहीं है और गोरखपुर-सोनौली फोरलेन से सटी हुई है। यह स्थान आवागमन के लिए सुविधाजनक है, जिससे यूनिवर्सिटी के छात्रों को किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होगी। डीएफओ विकास यादव के अनुसार, फॉरेस्ट यूनिवर्सिटी के लिए भूमि की तलाश पूरी कर ली गई है। साथ ही, यहां पर चलने वाले पाठ्यक्रमों को भी तीन से चार दिनों के भीतर तैयार किया जाएगा।

फॉरेस्ट यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रमों की तैयारी

गोरखपुर में स्थापित होने वाली फॉरेस्ट यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रमों की योजना भी शुरू हो गई है। वन विभाग ने इन पाठ्यक्रमों को तैयार करने के लिए विशेषज्ञों की टीम का गठन किया है, जो छात्रों को वन्य जीवन संरक्षण, पारिस्थितिकी, और पर्यावरण प्रबंधन के विषयों में प्रशिक्षित करेगी। यह यूनिवर्सिटी न केवल स्थानीय छात्रों के लिए बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक केंद्र बनेगी, जो वन और पर्यावरण से संबंधित ज्ञान को बढ़ावा देगी।

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फॉरेस्ट यूनिवर्सिटी की स्थापना से न केवल गोरखपुर बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी शिक्षा का स्तर ऊंचा होगा। विश्वविद्यालय में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से छात्रों को व्यावहारिक अनुभव प्राप्त होगा, जो उन्हें रोजगार के अवसरों के लिए तैयार करेगा। इसके अलावा, यह विश्वविद्यालय स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर कार्य करने की योजना भी बनाएगा, ताकि वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण में योगदान दिया जा सके।

स्थानीय समुदाय का सहयोग

फॉरेस्ट यूनिवर्सिटी के विकास में स्थानीय समुदाय का सहयोग भी महत्वपूर्ण होगा। विश्वविद्यालय के अधिकारियों का मानना है कि स्थानीय निवासियों के साथ मिलकर काम करने से न केवल शिक्षा के क्षेत्र में सुधार होगा, बल्कि वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को भी मजबूती मिलेगी। यूनिवर्सिटी स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए कार्यशालाएं और सेमिनार आयोजित करेगी, जिससे उन्हें वन संसाधनों का सतत उपयोग करने की जानकारी मिल सके।

इसके अलावा, विश्वविद्यालय स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को भी महत्व देगा। यहां पर अध्ययन करने वाले छात्र न केवल शैक्षणिक ज्ञान प्राप्त करेंगे, बल्कि वे स्थानीय पारिस्थितिकी और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए स्थानीय समुदाय के साथ मिलकर काम करने का भी अनुभव हासिल करेंगे। यह सहयोग स्थानीय लोगों को अपने संसाधनों के संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करेगा, जिससे समग्र विकास और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकेंगे।

मेरा नाम रवि कुमार सहानी है। मैं पिछले 5 साल से ज्यादा समय से Content Writing, Blogging कर रहा हूँ। मैं एक Content Creator भी हूँ। मुझे सभी Categories मे ज्यादा इंट्रेस्ट है इसीलिए मैं इन सभी पर लिखना ज्यादा पसंद करता हूँ।

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